Saturday, 2 April 2016

मेरा नया दोस्त ! ' गिल्लू '





मेरा नया दोस्त ! ' गिल्लू '

                   मन हुआ ! अपने नए नन्हे दोस्त गिल्लू से आपका परिचय करा दूँ...
           आज शाम को गिलहरी के इस बच्चे को घर के सामने घायलावस्था में कुत्तों से घिरा निरीह सा पाया !!
             सोचता हूँ..माँ से बिछुड़ चुकी इस छोटी सी घायल गिल्लू को माँ ममता सम वृहत स्नेह छाँव दे पाना शायद हमारे लिए संभव नहीं !! लेकिन अंजुली भर ममतामय स्नेह आलिंगन तो दे ही सकते हैं ..
अपने स्वाभाविक आवास से बिछुड़े इस बच्चे को देखकर कवि श्रेष्ठ श्री हरिवंश राय बच्चन साहब द्वारा रचित, बाल कविता " गिलहरी का घर " याद आ गयी .. महादेवी वर्मा जी की कहानी "गिल्लू" से तो आप अवश्य परिचित होंगे !!
 
एक गिलहरी एक पेड़ पर
बना रही है अपना घर,
देख-भाल कर उसने पाया
खाली है उसका कोटर ।
कभी इधर से, कभी उधर से
कुदक-फुदक घर-घर जाती,
चिथड़ा-गुदड़ा, सुतली, तागा
ले जाती जो कुछ पाती ।
ले जाती वह मुँह में दाबे
कोटर में रख-रख आती,
देख बड़ा सामान इकट्ठा
किलक-किलककर वह गाती ।
चिथड़े-गुदडे़, सुतली, धागे ---
सब को अन्दर फैलाकर,
काट कुतरकर एक बराबर
एक बनायेगी बिस्तर ।
फिर जब उसके बच्चे होंगे
उस पर उन्हें सुलायेगी ,
और उन्हीं के साथ लेटकर
लोरी उन्हें सुनायेगी
-हरिवंशराय बच्चन

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