दुनिया का सबसे उपयोगी वृक्ष
World's Most Useful Tree
सहजन (Drum Stick)
मित्र के कहने पर एक दिन सहजन ( वानस्पतिक नाम Moringa Oleifera) की सब्जी बनाकर खायी तो स्वाद मन को ऐसा भाया कि अक्सर बाइक लेकर चल पड़ता था सहजन की खोज !! लेकिन कई दिनों की पुरानी सहजन ही मिल पाती थी उपाय सूझा ....सहजन की एक टहनी लगाकर सामने पार्क में लगा दी. कई साल हो गए तब से सहजन का पेड़ मुझे ही नहीं सभी पड़ोसियों को खूब सहजन मुहैय्या करवा रहा है , सहजन का बाजार भाव 200 रुपये किलो तक पहुँच जाता है !! अर्थात एक फली की कीमत 10 रुपये !!
अब आप कहेंगे आखिर इसमें ऐसा विशेष क्या है....
सच कहूँ तो जब मैंने सहजन लगाया था तब मुझे ये जानकारी नहीं थी कि सहजन दुनिया का सबसे उपयोगी पौधा है.. ये मैं या कोई वैद हकीम नहीं कह रहा यह विश्व स्वास्थ्य संगठन ने प्रमाणिक तौर पर कहा है.. इस पौधे का हर भाग जैसे फल, फूल पत्ती, छाल और जड़ सभी कुछ हमारे लिए भोज्य रूप में अचूक औषधीय गुणों से संपन्न व उपयोगी है. सहजन, प्रयोग करने वाले के लिए ही उपयोगी नहीं बल्कि उस भूमि के लिए भी बहुत ही उपयोगी है जिसमे ये उगा होता है.. भूमि से भी बहुत कम पानी का अवशोषण करता है.
इसके अलग-अलग हिस्सों में 300 से अधिक रोगों के रोकथाम के गुण हैं। इसमें 92 तरह के मल्टीविटामिन्स, 46 तरह के एंटी आक्सीडेंट गुण, 36 तरह के दर्द निवारक और 18 तरह के एमिनो एसिड मिलते हैं। चारे के रूप में इसकी पत्तियों के प्रयोग से पशुओं के दूध में डेढ़ गुना और वजन में एक तिहाई से अधिक की वृद्धि मापी गई है। यही नहीं इसकी पत्तियों के रस को पानी के घोल में मिलाकर फसल पर छिड़कने से उपज में सवाया से अधिक की वृद्धि होती है। इतने गुणों के नाते सहजन चमत्कार से कम नहीं है।
सहजन, फास्फोरस युक्त होने के कारण मस्तिष्क को मजबूत बनाता है और बच्चों में याद करने की क्षमता बढ़ाताहै। ये पौरुषवर्धक होने के साथ-साथ चेहरे पर बुढ़ापे के लक्षणों को दूर रखने में भी कारगर है..
चर्म रोग,दमा, मौसमी बुखार, पित्त व किडनी की पथरी, डायबिटीज, शारीरिक दर्द, गठिया, सायटिका, वायु दोष, कैन्सर, रक्तचाप,आइरन की अधिकता के कारण गर्भवती महिलाओं द्वारा सेवन आदि में प्रभाव कारी है।
इसके विभिन्न भागों को सब्जी,रायते, सांभर में, अरहर की दाल में, चटनी, सूप, काढ़े, अचार, चटनी के रूप में प्रयोग किया जाता है. यहाँ तक की सूखने पर फलियों के बीजों को भी सुखाकर और पीसकर, प्रयोग किए जाने वाले भूमिगत जल में मिलाने से उसकी सान्ध्रता भी बढती है और बैक्टीरिया रहित भी हो जाता है ... सहजन के पौष्टिक व गुणकारी होने का स्पष्ट प्रमाण, कुपोषण के शिकार देशों मैं शीघ्रता से कुपोषण समाप्त करने हेतु, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने सहजन उपयोग करने की सलाह भी है .. ..
यह तराई और कुछ गर्म क्षेत्रों में उग सकता है. हर वर्ष 2 मी. की ऊँचाई पर काट देने के बाद पुन: नयी शाखाएं निकल कर फल देने लगती हैं..
यदि संक्षिप्त में कहूँ तो रासायनिक खाद और कीटाणुनाशकों के अंधाधुंध प्रयोग के उपरांत प्राप्त होने वाली सब्जियों व डिब्बा बंद पौष्टिक पाउडरों की अपेक्षा प्राकृतिक परिस्थितियों में आसानी से उगने वाला सहजन हमारे भोजन में किसी न किसी रूप में अवश्य शामिल होना चाहिए. सहजन एक ऐसा गुणकारी मल्टी विटामिन मल्टी मिनरल एंटी आक्सिडेंट कैप्सूल है जिसे कोई भी दवा कम्पनी नहीं बना सकती।
इतना अवश्य ध्यान रखिएगा कि सहजन की तासीर गर्म होती है। अत: व्यक्तिश: तासीर प्रतिकूलता की स्थिति में, आवश्यक अवयव मिलाकर ही सहजन प्रयोग किया जाना चाहिए।
सहजन की कलम का रोपण किया जाता है किसी भी स्वस्थ व लगभग दो इंच व्यास ( मोटाई अधिक होना व्यवधान नहीं है) वाली टहनी के दोनों सिरे काटकर एक सिरा जमीन में गाड़ दीजिये , जमीन के ऊपर वाले सिरे पर गोबर लगा कर धक् दीजियेगा .. पानी देते रहिएगा .. कुछ दिनों बाद कोंपल फूटने लगेंगी ..
हाँ, अंत में एक सलाह अवश्य देना चाहूँगा, बेशक आप के यहाँ की जलवायु, सहजन के माफिक न हो फिर भी इसकी टहनी का रोपण अवश्य कीजिएगा। यदि फल ना भी मिले तो पत्तियाँ, छाल और जड़ प्राप्त होने की कुछ संभावना अवश्य बन सकती है !!
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