बुद्धिमान कौवा !!
बचपन में बुद्धिमान कौवे द्वारा घड़े में कंकड़ डालकर प्यास बुझाने की प्रेरक कहानी सुनी थी लेकिन साथ ही चालाक लोमड़ी द्वारा कौवे को मूर्ख बनाकर रोटी झपटने को कहानी भी पढ़ी थी !!
कौवे का अनुमानित जीवन काल 100 वर्ष माना गया है !!! शायद इसी कारण कौवे को पूर्वजों के प्रतिनिधि होने का सम्मान भी दिया जाता है !!
आज गमलों में लबालब पानी डालने के बाद, यह सोचकर सुस्ताने लगा कि गमलों की मिटटी धीरे-धीरे पानी सोख लेगी तो एक बार अंत में फिर पानी डालकर चल दूंगा. इससे पहले कौवों को रोटी के टुकड़े और मिटटी के कटोरे में पानी डाल चुका था. आज धर्मपत्नी ने कुछ मोटी रोटियाँ इस उद्देश्य से बनाकर दी थी की सभी कौवों का काम चल जाएगा. तब तो कौवे रोटी के टुकड़ों को कब्जाकर नीम की शाख पर बैठ गए ! अब देखता हूँ कि वो मिटटी के बर्तन में रखे पानी में में उन रोटियों के टुकड़ों को भिगा-भिगा कर खा रहे हैं !! कौवों की बुद्धिमानी पर आश्चर्य हुआ !!
भीषण गर्मी के कारण गला सूखने से बेहाल, पक्षी भी सूखी रोटी निगल सकने में सहज नहीं हैं !!
प्रकृति, प्रत्यक्ष व अप्रत्यक्ष रूप से स्वयं में सभी जीवों की सहज व स्वाभाविक शिक्षक है। यदि जज्बा हो तो विपरीत देश-काल-परिस्थितियां भी जीने का हुनर सिखाने में सक्षम हैं !!
कौवों की गतिविधियों की कुछ तस्वीरें भी प्रस्तुत हैं...
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