Thursday, 17 March 2016

रुद्राक्ष ( Elaeocarpus granitrus ) ... एक ऊर्जा कवच ( An Energy Shield )




रुद्राक्ष ( Elaeocarpus granitrus ) 

 एक ऊर्जा कवच ( An Energy Shield )

              बचपन से घर में रुद्राक्ष को देखकर उसके पेड़ के बारे में तरह-तरह की कल्पना करता था लेकिन प्रत्यक्ष रूप से पेड़ नहीं देखा था. ऋषिकेश में अबकी बार जिक्र किया तो 4-5 जगह रुद्राक्ष के पेड़ों को प्रत्यक्ष देख पाया. रुद्राक्ष अर्थात रूद्र (भोले) की आँखों से गिरी बूँद, जो वृक्ष के रूप में विकसित हुई. भारतीय अध्यात्म में रुद्राक्ष के महत्व में आप सभी किसी न किसी रूप में परिचित हैं.
रुद्राक्ष, अखरोट की तरह फल की गुठली है अध्यात्म में इसका महत्व इस पर उपस्थित स्पष्ट फलकों के आधार पर सुनिश्चित किया गया है. गंगा की तराई में उगने वाले रुद्राक्ष के वृक्ष 3 - 4 साल में फल देने लगते हैं. रुद्राक्ष का प्रयोग जप व धारण करने में किया जाता है. रुद्राक्ष को मुख्य रूप से स्व उर्जा क्षरण या अपव्यय को रोकने व विषम उर्जा के संपर्क में आने पर उस उर्जा से टकराव के फलस्वरूप उत्पन्न होने वाले दोषों जैसे व्यग्रता, उत्तेजना, घबराहट से बचाव के लिए, धारण किया जाता है. रुद्राक्ष व्यक्ति के चारों तरफ अदृश्य उर्जा आवरण (cocoon) बना देता है. जिससे व्यक्ति प्रत्यक्ष रूप से नकारात्मक या विषम उर्जा के संपर्क में नहीं आ पाता..
           प्राचीन काल में सन्यासियों का एक स्थान पर एक से अधिक बार रुकना वर्जित था जिस कारण उनको विभिन्न स्थानों पर अलग- अलग उर्जा क्षेत्रों के संपर्क में आना होता था अत: उन क्षेत्रों के विषम उर्जा से टकराव उत्पन्न होना स्वाभाविक था, इस परिस्थितियों में धारण किया गया रुद्राक्ष उनके चारों तरफ अदृश्य उर्जा आवरण बनाकर उस स्थान की विपरीत उर्जा से दूर रखने में सहायक होता था.इस तरह सन्यासी अपना ध्यान निर्विघ्न केन्द्रित कर पाते थे. व स्थान से बिना व्यग्रता, उत्तेजना, घबराहट आदि दोषों के साम्यता बना पाते थे. आज की तेज रफ़्तार जिंदगी में गृहस्थ को भी कार्यवश् अकसर स्थान परिवर्तन कर अलग-अलग स्थानों पर जाना होता है जिस कारण विषम उर्जा के संपर्क में आने पर व्यग्रता, उत्तेजना, घबराहट जैसे दोष आने की सम्भावना होती है इस स्थिति में रुद्राक्ष का महत्व और भी बढ़ जाता है..
         रुद्राक्ष को विधि सम्मत धारण करने, तामसी भोजन से दूरी व शुद्धता बनाये रखने पर ही उचित फल प्राप्त हो सकता है.. शास्त्रों में 1 से 21 मुखी तक के रुद्राक्षों के बारे में कहा गया है लेकिन प्रमाणिक तौर पर 14 मुखी तक ही रुद्राक्ष पाए जाते हैं.
             कुटिल तरीकों से लाभार्जन की व्यावसायिक मनोवृत्ति रुद्राक्ष व्यापार में भी हावी है. इतना बताना चाहूँगा शुद्ध रुद्राक्ष जल में डूब जाता है, 6 घंटे तक पानी में उबालने पर भी क्षरित नहीं होता . खरीदते समय ध्यान रखियेगा, रुद्राक्ष आंवले के सदृश हो व उस पर घाटियाँ व पर्वत सदृश रचनाएँ एवं फलक स्पष्ट हों. अस्पष्ट व अविकसित फलक वाले व खंडित रुद्राक्ष धारण नहीं करने चाहिए.
आयुर्वेद के अनुसार रात में रुद्राक्ष को जल में भिगोकर सुबह उस जल को पीने से उच्च रक्त चाप से पीड़ित व्यक्तियों को काफी लाभ होता है.
               आजकल तेज रफ़्तार होती जिंदगी में सामान्य रूप से, अनिश्चितता, मन उचाट, मानसिक दबाव व एकाग्रता की कमी से जूझते हैं. इस स्थिति में आसानी से व कम दामों पर मिलने वाला पांच मुखी रुद्राक्ष बहुत ही लाभदायक है .................16.03.15

1 comment:

  1. बहुत सुन्दर जानकारी सर। बेहतरीन वर्णन अद्भुत सौभाग्य।

    ReplyDelete