कालू
यह तस्वीर लगभग दो वर्ष पुरानी है तस्वीर में ,मंदिर दर्शन की समयावधि में, वर्षा के बावजूद भी ,निरंतर,मेरे साथ रहा " कालू " है.साथियों, इसे सामान्य, कालू समझने की भूल मत कीजियेगा . इसकी विशेषता यह है कि ये जिस दर्शनार्थी के साथ सड़क से नीचे मंदिर तक जाता है उसी के साथ वापस पुन: चढ़ाई चढ़कर वापस सड़क तक आता है.और विदा करता है ! जिन साथियों ने मंदिर दर्शन किये हों उनको अंदाज़ होगा कि चढ़ाई कितनी खड़ी है !!इस दौरान चाहे कितनी भी भीड़ हो "कालू " यदि आपके साथ हो लिया तो हो लिया ... जब आप इस स्थान पर जाए तो " कालू " से अवश्य मिलिएगा
एक जानवर के मन में अजनबी श्रधालुओं के प्रति इतनी आत्मीयता !!!.आश्चर्य हुआ .!!